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Showing posts from July, 2023

ईमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकालकर किया जंजीरी मातम

*Moharram Special* *Location-* Ballia *Report-* S.Asif Hussain zaidi. *Mob*-8808101134 ईमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकालकर किया जंजीरी मातम। खबर उत्तर प्रदेश के बलिया से है जहाँ शनिवार की शाम शिया समुदाय के लोगों ने यौमें आशूरा मोहरर्म 10 तारीख के मौके पर कर्बला के 72शहीदों की याद और पैगम्बरे इस्लाम मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 जा निसारो को कर्बला के मैदान में भूखा प्यासा यजीदी सेना ने शहीद कर दिया गया । अपने नाना    मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो वाले वसल्लम.के दीन इस्लाम और इंसानियत को बचाने के लिए अपने शिरखार (दुधमुंहे) 6 माह के अली असगर ,सहित  जवान अली अकबर की शहादत दी, पूरा घर और अनसार शहीद कर दिये गये। उनके खैमो में आग लगा दिया , और लूटपाट किया।  बच्ची सकिना को थप्पड़ मारे गए ,उनके कान से बुंदे छिने  गए। यानी ऐसी यातनाएं दी,  लेकिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने  यजिद कि बयत नही की यदि वो  चाहता था कि इमाम हुसैन उसकी बयत (सहमति दे ) पर इंसानियत को बचाने के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपनी शहादत दे दी। लेकिन यजि़द के आगे नहीं झुके आज भी दुनिय

संसद और विधानसभा में शेर की तरह दहाड़ने वाले नेताओं के लिए तरसता पूर्वांचल---

 संसद और विधानसभा में शेर की तरह दहाड़ने वाले नेताओं के लिए तरसता पूर्वांचल--- मूलतः संसदीय लोकतंत्र का मौलिक सिद्धांत यह है कि-संसद और विधानसभा में शानदार , धारदार , तथ्यपरक और तर्कपूर्ण बहस होगी तभी जनता के पक्ष में शानदार नीतियां बनेगी। किसी भी देश के समग्र, संतुलित और सर्वांगीण विकास के लिए दूरगामी और दूरदर्शितापूर्ण नीतियों और निर्णयों की आवश्यकता होती हैं। दूरगामी और दूरदर्शिता पूर्ण नीतियों के निर्माण के लिए संसद और विधानमंडल में स्वस्थ्य, तार्किक , तथ्यपरक और व्यापक बहस आवश्यक है। स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान पूर्वांचल से ऐसे शूरवीर और सूरमा निकलते रहे जिनके त्याग बलिदान शौर्य पराक्रम के किस्से और कारनामे भारत के राष्ट्रीय इतिहास में स्वर्णाकिंत है। इसी परम्परा में  स्वाधीनता उपरांत पूर्वांचल की माटी से ऐसे ओजस्वी नेता प्रखर वक्ता संसद और विधानसभा में पहुँचते रहे जो शेर की तरह दहाड़ते थे और जिनके धारदार तर्कों के आगे पूरी संसद और विधानसभा निढाल हो जाया करती थी। दुर्भाग्यवश आज जातिवादी समीकरणों की कोख़ से पैदा हुए जुबानी तौर पर तोतले,हकले और लगभग गूंगे-बहरे नेताओं की बाढ आ गई है। इस

क्या आप को मालूम है आज क्षत्रिय भारत में सबसे ज्यादा कमजोर क्यों है

 * अमेरिका के एक क्षत्रिय संघटन ने ट्वीट करके कहा है कि आज के जमाने में असली दलित क्षत्रिय हैं। उन्होंने अपनी बात को बल देने के लिए  * अमेरिका में भारतीय  पत्रकार * की रिपोर्ट भी शेयर की है, जिसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं :  *दिल्ली और मुंबई सहित देश के विभिन्न शहरों में 50% रिक्शा चालक, टैक्सी चालक, ऑटो चालक, ट्रक चालक क्षत्रिय हैं। इनमें से अधिकतर यूपी और बिहार के क्षत्रिय हैं।* *दक्षिण भारत सहित देश के विभिन्न राज्यों में क्षत्रियों की स्थिति बहुत कमजोर व अछूत सी है । विभिन्न जगहों पर लोगों के घरों में, फैक्ट्रियों में, कारखानों में, प्राइवेट कम्पनियों में 70% काम करने वाले  कर्मचारी और नौकर व गार्ड सिक्योरिटी गार्ड क्षत्रिय हैं।* *क्षत्रियों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहाँ और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं क्षत्रियों की और कम हो रही है।* *क्षत्रिय भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण क्षत्रिय होने की वजह से इ