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ईमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकालकर किया जंजीरी मातम



*Moharram Special*


*Location-* Ballia

*Report-* S.Asif Hussain zaidi.

*Mob*-8808101134


ईमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकालकर किया जंजीरी मातम।


खबर उत्तर प्रदेश के बलिया से है जहाँ शनिवार की शाम शिया समुदाय के लोगों ने यौमें आशूरा मोहरर्म 10 तारीख के मौके पर कर्बला के 72शहीदों की याद और पैगम्बरे इस्लाम मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 जा निसारो को कर्बला के मैदान में भूखा प्यासा यजीदी सेना ने शहीद कर दिया गया । अपने नाना    मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो वाले वसल्लम.के दीन इस्लाम और इंसानियत को बचाने के लिए अपने शिरखार (दुधमुंहे) 6 माह के अली असगर ,सहित  जवान अली अकबर की शहादत दी, पूरा घर और अनसार शहीद कर दिये गये। उनके खैमो में आग लगा दिया , और लूटपाट किया।  बच्ची सकिना को थप्पड़ मारे गए ,उनके कान से बुंदे छिने  गए। यानी ऐसी यातनाएं दी,  लेकिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने  यजिद कि बयत नही की यदि वो

 चाहता था कि इमाम हुसैन उसकी बयत (सहमति दे ) पर इंसानियत को बचाने के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपनी शहादत दे दी। लेकिन यजि़द के आगे नहीं झुके आज भी दुनिया में इंसानियत बाकी है, वो इमाम हुसैन के साथ कर्बला के 72शहीदों की देन है ।







इसी लिए शिया समुदाय के लोगों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए उनके गम में शरीक हुए और मातम करते हैं और अलम, ताबुत, ताजिया निकालते है या मौला अगर हम कर्बला में होते तो हम भी अपनी शाहादत देदे ते, अपना  खून बहा देते हैं इसीलिए बच्चे जवान हुए हैं सब इमाम हुसैन को याद करके मातम करते हैं।और कहते है ऐ मौला हम भी आपके शहीदों में शामिल होते।

किसी शायर ने क्या खूब लिखा है कि भारत में अगर आ जाता ह्रदय में उतारा जाता यूं चांद बनी हाशिम का धोखे से ना मारा जाता।

*Byte-* सैयद आसिफ हुसैन जैदी   सदस्य अंजुमन हाशमी मिया


*Byte * Santosh pratap Singh from sahatwar  kothi BALLIA 

इस मौके पर संतोष प्रताप सिंह उर्फ दादा ठाकुर लीक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार से जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि करबला के 72 शहीदों को सलाम तथा इस्लामिक नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें और मातम मनाने का कारण भी बताया ।

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