उसके कत्ल पर मैं भी चुप था, मेरा नंबर अब आया
मेरे कत्ल पर आप भी चुप हैं, अगला नंबर आपका है...
कभी कहीं बदायूं, कभी हाथरस ,कभी दिल्ली, कभी बिहार ,कभी कंही कोई दरिंदा या दरिदों का गैंग किसी बहन बेटी को नोचता है कभी कोई बाहुबली उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता है और हम यह सोचकर चुप रहते है कि यह मेरे साथ थोड़े हुआ है । हम ही क्यों देश के बड़े बड़े सेलिब्रिटी चुप रहते हैं । हम खबर पढ़ने के बाद आरोपी की जाति और धर्म सबसे पहले देखते है और अगर आरोपी हमारे धर्म या जाति का हुआ तो चुप्पी मार लेते है।
यह बेहद सन्तोष की बात है कि देर से ही सही कई खेलों के शीर्षस्थ खिलाड़ी आज महिला खिलाड़ियों के पक्ष में खड़े दिखयी दे रहे है और उनके पक्ष में बोल रहे हैं वरना बहुत दिन नहीं हुआ जब दिल्ली के शाहीन बाग और गाजीपुर बोर्डर पर अलग अलग मुद्दों पर हजारों लोग धरने पर बैठे थे पर मीडिया का दलाल तबका और हमारा आपका लिजलिजा मिडिल क्लास यह खबर उड़ा रहा था कि उनको सीमा उस पार से बिरयानी बंट रही है और सेलिब्रेटी तबका चुप्पी साधे बैठा था ।
लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन कर अपनी बात और मुद्दे पर सरकारों का ध्यान आकर्षित कराना लोकतांत्रिक तरीका और अधिकार है इसे सरकार विरोधी आंदोलन बता देना बेहद भद्दा आचरण है।
ईश्वर का लाख लाख शुक्र है कि इस संकट के समय सर्वोच्च न्यायपालिका की कमान सबसे सुरक्षित ,निष्पक्ष और ईमानदार हाथों में हैं ।
जिससे लोगों का विश्वास न्याय और न्यायपालिका पर मजबूत हुआ है।
Comments
Post a Comment