13 तारीख को उतर प्रदेश से निकाय चुनाव का परिणाम आया तब जनता को बहुत आश्चर्य हुआ कि बीजेपी ने सभी महत्वपूर्ण शहरों के पंचायतों, परिषद और शहरों के मेयर पदों पर बीजेपी सरकार के प्रभाव से बीजेपी पार्टी ने ही जीता या कब्जा कर लिया है ।
उत्तर प्रदेश में विपक्षियों के हार का एक कारण समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओ में आपस में गुटबाज़ी, पार्टी के उम्मीदवार का विरोध और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से भी हुआ है इसका उदाहरण बलिया ज़िले में हुए कई नगर पालिका परिषद में दिखाई पडा, जहाँ समाजवादी पार्टी के नेता मजबूती से लड़े वह सीट समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने जीता ।
सहतवार, बासडीह, मनियर आदि नगर पालिका समाजवादी पार्टी के नेताओ ने जीता वही बलिया सदर विधान सभा में बलिया नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार हार गया, कारण निर्दलीय प्रत्याशी जो समाजवादी पार्टी का ही नेता था समाजवादी पार्टी के विरोध में सब से आगे था ।
शायद समाजवादी पार्टी के अंदर अनुशासन की कमी ही संघटन को कमजोर कर रही है हालांकि पार्टी ने उम्मीदवार और उनके समर्थगकों को समाजवादी पार्टी से छ साल के लिए निशकाशन का आदेश दिया था ।
समाजवादी पार्टी के अंदर जातिवादी सोच वाले नेता और पूर्मंव मंत्री की बहुत पुछ है भले ही उनको जनता ने विधानसभा चुनाव में कई बार बलिया में रिजेक्ट कर दिया है लेकिन पैसा खर्च कर बार बार पार्टी का टिकट खरीद फरोख्त कर ले आते हैं
दुसरे तरफ नौजवान नेताओं को समाजवादी पार्टी में कोई नहीं पुछता वह मजबूरी में दुसरे राजनैतिक दल में शामिल हो जाता है यह परम्परा कही न कही समाजवादी विचारधारा और समाजवादी पार्टी के लिये घातक हो रहा है ।
अखिलेश यादव जी के आस-पास चाटूकारो की टोली मौजूद है जो सच्चाई को छुपाने के लिए सबसे प्रिय मित्र बनें हुए हैं
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