Skip to main content

बलिया के विकास में धन की कमी नहीं आएगी आड़े -सीएम योगी

 *Place*-Ballia.U.P

*Report*-S.Asif.H.

Zaidi.


*Mo*-8808101134


*बलिया के विकास में धन की कमी नहीं आएगी आड़े -सीएम योगी*  





 खबर यूपी के बलिया से है जहां अपने चुनावी दौरे पर पहुंचे  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का माला पहना कर जबरदस्त हुआ स्वागत।

सीएम योगी अपने स्वागत के बाद जनसभा को संबोधित करते कहा बलिया क्रांतिकारियों व वीरोँ कि धरती है। महान स्वतंत्रता सेनानी, मंगल पांडेय, चित्तू पान्डेय, हजारी प्रसाद द्विवेदी, चन्द्र शेखर कि धरती है। इसके बाद -

भृगु बाबा कि तपोभूमि को नमन करते हुए कहा *बलिया जिला घर बा त कौनी बात के डर बा।*


सीएम योगी नें कहा-

बलिया में विकास को एक साजिश के तहत विकसित नहीं होने दिया गया। बलिया.के लोगों की सहजता, विवविधता  सरलता, और सहजता के कारण यहां के लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ी ।

लेकिन अब ऐसा नहीं होगा बलिया के लोग अपनी कीमत ब्याज समेत वसूलेंगे।

2017 से पहले नौजवानों के हाथों में कट्टा हुआ करता था। लेकिन 2017 के बाद उन नौजवानों के हाथोँ में टैबलेंट दे कर उन्हें स्मार्ट बना कर हमारी सरकार द्वारा  उनकी प्रतिभा को आगे आगे बढ़ाया जा रहा है।

2017 से पहले अपराधी सीना तानकर चला करते थे। लेकिन 2017 के बाद अपराधी सर झुका कर गले में चक्की पहनकर चल रहे हैं।

और व्यापारी सीना तान कर अपना कारोबार चला रहे हैं।

अंत में योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव में लड़ रहे सभी भाजपा प्रत्याशियों को अपने पास खड़े करके जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप इनकी जीत सुनिश्चित करने का वादा करे, आप आशीर्वाद दीजिए हम बलिया के विकास में पैसे की कमी  नहीं होने देंगे।

इस अवसर पर लोक सभा सासंद विरेन्द्र सिंह मस्त,लोकसभा सांसद रविन्द्र कुशवाहा, राज्य सभा सासंद नीरज शेखर, राज्य सभा सासंद सकलदीप राजभर,उत्तर प्रदेश के मंत्री , दयाशंकर दयालु मिश्रा, परिवन मंत्री दया शंकर सिंह, मंत्री दानिश आज़ाद, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी, विधायक केतकी सिह आदी मौजूद रहे।




*संबोधन*- योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर

Comments

Popular posts from this blog

यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-

 यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-  भावी विधानसभा चुनावों में लाभ उठाने के उद्देश्य से मामा मारीच की तरह नकली स्वर्ण मृग गड़ा है सरकार ने।  कर्मचारी मांग रहे थे ओल्ड पेंशन, सरकार ने थमा दी यूपीएस                                                                                        डा. गिरीश  पुरानी पेंशन की समाप्ति के बाद से ही उसकी बहाली को लेकर देश के सरकारी कर्मचारी आंदोलनरत रहे हैं। लेकिन अचानक शनिवार को मोदी सरकार पुरानी पेंशन का एक और नया रूप लेकर सामने आ गयी। लोकसभा चुनावों में भाजपा को लगे तगड़े झटके के बाद से मोदी सरकार और भाजपा अपने पुराने अड़ियल चेहरे को डेंट पेंट करने में जुटी है। हाल में वक्फ बिल को जेपीसी में भेजा जाना और अधिकारियों की सीधी भर्ती के कदम को पीछे खींचना इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। सच तो यह है कि कई राज्यों में होने जारहे विधान सभा ...

भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! इस बहस को मजबूत करने के लिये मेरा समर्थन संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार

 बहस तलब मुद्दा।  भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! 1947 में आजादी मिलने के बाद  संविधान सभा में विचार विमर्श और विद्वतापूर्ण बहसों के बाद भारत के लगभग सभी विचारधाराओं के लोगों ने संविधान को सर्वसहमति से स्वीकार किया था। यानी नवजात भारतीय राष्ट्र राज्य के शासक वर्ग को उस समय‌ सर्वभौम संघात्मक गणतांत्रिक भारत की संरचना ही सबसे ज्यादा उपयुक्त लगी थी।   इसको दो उदाहरण से देखा जा सकता है।   एक- डॉक्टर अंबेडकर की सोच थी कि भारतीय समाज के लोकतांत्रिक रूपांतरण केलिए वर्ण व्यवस्था यानी जाति का विनाश पहली शर्त है। नहीं तो लोकतंत्र को टिकाए  नहीं रखा जा सकता।इस समझ से अधिकांश संविधान सभा के सदस्य अपनी वर्ण वादी सोच के कारण सहमत नहीं थे।इसके बाद भी डॉक्टर अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना गया।   दूसरा- दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  वर्ण व्यवस्था समर्थक बाबू राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे हिंदू महासभा के नेता और  मौलाना हसरत मोहानी सहित कई घोषित कम्युनिस्ट और सोसलिस्ट भी संविधान सभा ...

आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐- संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार ने किया समर्थन

 27 मई 1964 - पुण्य स्मृति  आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐-    मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की भाषा में जवाहरलाल नेहरू पूर्णतः अपने पिता के पुत्र थे, जबकि- गांधी जी अपनी माता की संतान थे। जवाहर लाल नेहरू ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू से स्वतंत्रता, साहस की भावना, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ़ इच्छाशक्ति, अविचल संकल्प और अभिजात्य संस्कार विरासत में पाया था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए जवाहरलाल नेहरू ने लगभग सात वर्ष इंग्लैड में व्यतीत किया। इस दौरान वह ब्रिटेन में प्रचलित मानववादी उदारवाद की परम्पराओं की तरफ आकर्षित हुए और इन परम्पराओं को हृदयंगम कर लिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सुविख्यात शिक्षक और सुप्रसिद्ध राजनीतिक विचारक हेराल्ड लाॅस्की के प्रिय शिष्यों में रहे जवाहरलाल नेहरू जार्ज बर्नार्ड शॉ और बर्ट्रेण्ड रसल के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विश्व, ब्रहमांड और समाज को समझने- परखने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने वाले जवाहरलाल नेहरू जैसे-जैसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मुखर होते गए वैसे- वैसे उनकी स्वतंत्रता...