भारतीय राजनीति ने कर्मचारियों संघटन को कमज़ोर कर सरकारी तथा ग़ैर सरकारी कंपनियों में लूटपाट सरकारी नीतियों के कारण ही संभव
अंग्रेजों के खिलाफ लडने वाले कर्मचारियों, मजदूरों, कामगारों की हालत नाजुक दौर में पहुँच चूकी है जहाँ उनकी सभी सुविधाओं की कटौती सरकारी नीतियों के द्वारा लगातार किया जा रहा है , बीजेपी सरकार के आने के बाद से स्थिति और खराब हो चूकी है, सरकार मन मानें तरीक से इनका शोषण कर रही है ।
1, पेंशन खत्म किये गये
2, ओभर टाइम बंद कर दिया गया
3, आठ घंटे काम करने वाले समय को बढा कर 12 घंटे किया गया है यानी 24 घंटों में जहाँ तीन कर्मचारी आठ घंटे के हिसाब काम करते अब सिर्फ दो मजदूर काम करते हैं ।
4, कल कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए सभी सुविधाओं तथा provident fund , ESI , overtime, bonus , gratuity, leave , salary on time etc etc
बीजेपी सरकार ने कर्मचारी संघटन या नया यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म किया है, हड़ताल करने, लम्बे समय तक छुट्टी पर जाने या निजीकरण के लिए कारखानों के कानून में परिवर्तन कर सभी अधिकार कारखानों के मालिकों को दे दिया है ।
लेबर कानून में परिवर्तन कर सभी अधिकार कारखानों के मालिकों को दे दिया है तथा कर्मचारी संघटन को कमज़ोर कर दिया है ।
ऐसे में संतोष प्रताप सिंह एटक के नेता ने कर्मचारी संघटन या यूनियन को मजबूत करने के लिये पूर्वांचल के अनेकों जिलों में जिला सम्मेलन करवाए जिला मजबूत भी हुए हैं, अगर संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार के रूप में अगर बलिया में आते हैं तो बलिया की जनता को एक मजबूत मजदूर नेता मिल सकता है ।
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