Skip to main content

देश भर के नौजवानों में राजनैतिक-सामाजिक चेतना का अभाव है, बोले संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के नेता

 

28 सितंबर 1907 में जन्मे शहीदे आजम भगत सिंह जी के जन्मदिन पर विशेष लेख-

आज देश का दुर्भाग्य है कि ईकीसवी सदी में भी देश के पचास करोड़ नौजवान बेरोजगार हैं,  पचास करोड़ लोग  गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने  को मजबूर हैं,  सरकार पिछले पांच सालों  से अनाज बाँट कर गरीब दिहाडी बेरोजगार जनता का पेट भर रही है लेकिन फिर भी नौजवान और युवा पीढ़ी चूप हैं ।

शहिदे आजम भगत सिंह जी के सपनों का भारत आज बेरोजगार भारत बन चूका है 8 सितम्बर 1907 में जन्मे शहीदे आजम भगत सिंह जी ने देश की आजादी के लिये लड़ो और मारो का नारा दिया था जिस से गुलाम भारत में एक लहर दौड़ गई थी देश भर में क्रन्तिकारी नौजवानों की टोली अंग्रेजों के खिलाफ लडने  और मारने के लिए तैयार हो गई थी ।

लेकिन आज 2023 में नौजवानों को अलग-अलग जातियों और धर्मों में बाँट कर बीजेपी और संघ परिवार के सरकारों ने नौजवानों और  युवाओं को बेरोजगार बना दिया है तथा युवाओं की चेतना,  संघर्ष करने की क्षमता खत्म कर दिया है 

आज देश में जातिवाद और  धर्मवाद ने नौजवानों और  युवाओं को गुमराह कर कमजोर बना दिया है  जिसकी वजह से नौजवान अपने अधिकारों के लिये,  रोजी रोजगार के लिए सरकारों से लड़ने के लिए तैयार नहीं है ।

आजादी के बाद भारतीय नौजवानों को मजबूत करने के लिये राजनीतिक दलों ने शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक काम किया जिसमें  सबसे  पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नाम आता है केरल और बंगाल को देश का 100% शिक्षित समाज बना कर कम्युनिस्ट पार्टी के सरकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

आज भी उसी  कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और  कार्यकर्ता देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर नौजवानों , युवाओं ,बेरोजगारो को पढने ,पढ़ाने , संघर्ष  और  अपने अधिकारों के लिये लडने के लिए कविता को माध्यम बना कर काम करते हैं ।

ऐसे ही एक नौजवान हैं संतोष प्रताप सिंह बाग़ी बलिया के बाबू बीर कुवर सिंह जी के ननिहाल सहतवार के परिवार में पैदा हुए  शिक्षा और संघटन की ट्रेनिंग शहिदे आजम भगत सिंह जी के संघटन नौजवान भारत सभा में पंजाब से बंगाल तक मिली ,बंगाल से केरल तक, आज संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार तथा  राष्ट्रीय नेता के रूप में उभर कर सामने आये हैं ।

  









Comments

Popular posts from this blog

यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-

 यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-  भावी विधानसभा चुनावों में लाभ उठाने के उद्देश्य से मामा मारीच की तरह नकली स्वर्ण मृग गड़ा है सरकार ने।  कर्मचारी मांग रहे थे ओल्ड पेंशन, सरकार ने थमा दी यूपीएस                                                                                        डा. गिरीश  पुरानी पेंशन की समाप्ति के बाद से ही उसकी बहाली को लेकर देश के सरकारी कर्मचारी आंदोलनरत रहे हैं। लेकिन अचानक शनिवार को मोदी सरकार पुरानी पेंशन का एक और नया रूप लेकर सामने आ गयी। लोकसभा चुनावों में भाजपा को लगे तगड़े झटके के बाद से मोदी सरकार और भाजपा अपने पुराने अड़ियल चेहरे को डेंट पेंट करने में जुटी है। हाल में वक्फ बिल को जेपीसी में भेजा जाना और अधिकारियों की सीधी भर्ती के कदम को पीछे खींचना इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। सच तो यह है कि कई राज्यों में होने जारहे विधान सभा ...

भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! इस बहस को मजबूत करने के लिये मेरा समर्थन संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार

 बहस तलब मुद्दा।  भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! 1947 में आजादी मिलने के बाद  संविधान सभा में विचार विमर्श और विद्वतापूर्ण बहसों के बाद भारत के लगभग सभी विचारधाराओं के लोगों ने संविधान को सर्वसहमति से स्वीकार किया था। यानी नवजात भारतीय राष्ट्र राज्य के शासक वर्ग को उस समय‌ सर्वभौम संघात्मक गणतांत्रिक भारत की संरचना ही सबसे ज्यादा उपयुक्त लगी थी।   इसको दो उदाहरण से देखा जा सकता है।   एक- डॉक्टर अंबेडकर की सोच थी कि भारतीय समाज के लोकतांत्रिक रूपांतरण केलिए वर्ण व्यवस्था यानी जाति का विनाश पहली शर्त है। नहीं तो लोकतंत्र को टिकाए  नहीं रखा जा सकता।इस समझ से अधिकांश संविधान सभा के सदस्य अपनी वर्ण वादी सोच के कारण सहमत नहीं थे।इसके बाद भी डॉक्टर अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना गया।   दूसरा- दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  वर्ण व्यवस्था समर्थक बाबू राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे हिंदू महासभा के नेता और  मौलाना हसरत मोहानी सहित कई घोषित कम्युनिस्ट और सोसलिस्ट भी संविधान सभा ...

आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐- संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार ने किया समर्थन

 27 मई 1964 - पुण्य स्मृति  आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐-    मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की भाषा में जवाहरलाल नेहरू पूर्णतः अपने पिता के पुत्र थे, जबकि- गांधी जी अपनी माता की संतान थे। जवाहर लाल नेहरू ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू से स्वतंत्रता, साहस की भावना, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ़ इच्छाशक्ति, अविचल संकल्प और अभिजात्य संस्कार विरासत में पाया था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए जवाहरलाल नेहरू ने लगभग सात वर्ष इंग्लैड में व्यतीत किया। इस दौरान वह ब्रिटेन में प्रचलित मानववादी उदारवाद की परम्पराओं की तरफ आकर्षित हुए और इन परम्पराओं को हृदयंगम कर लिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सुविख्यात शिक्षक और सुप्रसिद्ध राजनीतिक विचारक हेराल्ड लाॅस्की के प्रिय शिष्यों में रहे जवाहरलाल नेहरू जार्ज बर्नार्ड शॉ और बर्ट्रेण्ड रसल के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विश्व, ब्रहमांड और समाज को समझने- परखने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने वाले जवाहरलाल नेहरू जैसे-जैसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मुखर होते गए वैसे- वैसे उनकी स्वतंत्रता...