Skip to main content

पेट्रोल- डीजल के दाम नीचे लाओ, टोल- टेक्स बढ़ाने से बाज आओ: डा. गिरीश

   




पेट्रोल- डीजल के दाम नीचे लाओ, टोल- टेक्स बढ़ाने से बाज आओ: डा. गिरीश 

 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डा.गिरीश ने कच्चे तेल के दामों में भारी कमी के बावजूद पेट्रोल- डीजल की कीमतों को कम न करने और फिर से टोल टेक्स बढ़ाने की सरकार की योजना को महंगाई बढ़ाने वाला विकास विरोधी कदम बताते हुये निम्न प्रेस नोट जारी किया है- 


 

लखनऊ- 28 सितंबर 2024,  कच्चे तेल के दामों में उल्लेखनीय कमी होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी न करना और पहले से ही ऊंचे टोल टेक्स को फिर से बढ़ाने का इरादा आम और मेहनतकश जनता को आर्थिक रूपसे जर्जर तो बना ही रहे हैं ये विकास विरोधी और महंगाई बढ़ाने वाले भी हैं। 


आम जनता, मेहनतकश समुदाय और सभी शोषित वंचितों के हितों की पहरेदार होने के नाते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी केंद्र सरकार से मांग करती है कि वह पेट्रोल-- डीजल के दामों में तत्काल पर्याप्त कमी लाये और फिर से टोल- टेक्स बढ़ाने की योजना को रद्द करे। वरना महंगाई और बढ़ेगी, विकास दर में कमी आएगी तथा बहुसंख्य जनता के जीवन- स्तर में भारी गिरावट आएगी। 


एक सर्वे एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इन दिनों कच्चे तेल के दाम 84 डालर प्रति बेरल से घट कर 71.31 डालर प्रति बेरल हो गए हैं। यानी कि कच्चे तेल की कीमतों में 12 प्रतिशत की कमी आयी है। परिणामस्वरूप मार्च से लेकर अब तक पेट्रोल कंपनियों का मुनाफा पेट्रोल पर 15 रुपए लीटर हो गया है तो डीजल पर 12 रुपये लीटर बढ़ चुका है।  इससे सरकार को इस साल 60,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त बच सकते हैं। मगर अभी तक इसका कोई लाभ ग्राहकों को नहीं दिया गया है। 


पेट्रोल डीजल के दामों में कमी के बावजूद फिर से टोल टेक्स बढ़ाने की साजिश रची जा रही है। वह भी तब जब देश और प्रदेश के एक्सप्रेसवेजऔर हाईवेज मानकों के अनुरूप नहीं हैं और उनमें आए दिन दरारें और खाइयाँ बनने की खबरें मिलती रहती हैं। मुरादाबाद- आगरा हाईवे तो सिर्फ नाम का हाईवे है। फिर भी उस पर टोल टेक्स बसूला जा रहा है। वैसे तो वाहनों और ईधन पर दर्जन भर टेक्स बसूल कर उस धन से बनाई जाने वाली सड़कों पर टोल टेक्स बसूलने जी अवधारणा ही गलत है, फिर भी सरकार इसे निरंतर बढ़ाए जा रही है। 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राय है कि पेट्रोल डीजल के महंगे होने से पर्यटन सहित समस्त उद्योगों पर भारी असर पड़ता है, महंगाई बढ़ती है, विकास दर घटती है तथा जनता का जीवन स्तर घटता है। और भाजपा सरकार चाहती भी ऐसा ही है। धर्म के नाम पर पाखंड और जातीय मतभेदों में जकड़ी जनता इन मुद्दों पर प्रतिरोध नहीं कर पा रही अतएव सरकार मनमानी पर उतारू है। 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सरकार से  पुरजोर तरीके से मांग करती है कि पेट्रोल डीजल के दामों में तत्काल कमी लायी जाये तथा टोल टेक्स बढ़ाने की योजना को रद्द किया जाये। 


प्रतिरोध की आवाज जनता और जन- हितैषी सभी शक्तियों की ओर से उठनी ही चाहिए। 


डा. गिरीश, राष्ट्रीय सचिव 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-

 यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है-  भावी विधानसभा चुनावों में लाभ उठाने के उद्देश्य से मामा मारीच की तरह नकली स्वर्ण मृग गड़ा है सरकार ने।  कर्मचारी मांग रहे थे ओल्ड पेंशन, सरकार ने थमा दी यूपीएस                                                                                        डा. गिरीश  पुरानी पेंशन की समाप्ति के बाद से ही उसकी बहाली को लेकर देश के सरकारी कर्मचारी आंदोलनरत रहे हैं। लेकिन अचानक शनिवार को मोदी सरकार पुरानी पेंशन का एक और नया रूप लेकर सामने आ गयी। लोकसभा चुनावों में भाजपा को लगे तगड़े झटके के बाद से मोदी सरकार और भाजपा अपने पुराने अड़ियल चेहरे को डेंट पेंट करने में जुटी है। हाल में वक्फ बिल को जेपीसी में भेजा जाना और अधिकारियों की सीधी भर्ती के कदम को पीछे खींचना इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। सच तो यह है कि कई राज्यों में होने जारहे विधान सभा ...

भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! इस बहस को मजबूत करने के लिये मेरा समर्थन संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार

 बहस तलब मुद्दा।  भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! 1947 में आजादी मिलने के बाद  संविधान सभा में विचार विमर्श और विद्वतापूर्ण बहसों के बाद भारत के लगभग सभी विचारधाराओं के लोगों ने संविधान को सर्वसहमति से स्वीकार किया था। यानी नवजात भारतीय राष्ट्र राज्य के शासक वर्ग को उस समय‌ सर्वभौम संघात्मक गणतांत्रिक भारत की संरचना ही सबसे ज्यादा उपयुक्त लगी थी।   इसको दो उदाहरण से देखा जा सकता है।   एक- डॉक्टर अंबेडकर की सोच थी कि भारतीय समाज के लोकतांत्रिक रूपांतरण केलिए वर्ण व्यवस्था यानी जाति का विनाश पहली शर्त है। नहीं तो लोकतंत्र को टिकाए  नहीं रखा जा सकता।इस समझ से अधिकांश संविधान सभा के सदस्य अपनी वर्ण वादी सोच के कारण सहमत नहीं थे।इसके बाद भी डॉक्टर अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना गया।   दूसरा- दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  वर्ण व्यवस्था समर्थक बाबू राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे हिंदू महासभा के नेता और  मौलाना हसरत मोहानी सहित कई घोषित कम्युनिस्ट और सोसलिस्ट भी संविधान सभा ...

आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐- संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार ने किया समर्थन

 27 मई 1964 - पुण्य स्मृति  आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐-    मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की भाषा में जवाहरलाल नेहरू पूर्णतः अपने पिता के पुत्र थे, जबकि- गांधी जी अपनी माता की संतान थे। जवाहर लाल नेहरू ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू से स्वतंत्रता, साहस की भावना, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ़ इच्छाशक्ति, अविचल संकल्प और अभिजात्य संस्कार विरासत में पाया था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए जवाहरलाल नेहरू ने लगभग सात वर्ष इंग्लैड में व्यतीत किया। इस दौरान वह ब्रिटेन में प्रचलित मानववादी उदारवाद की परम्पराओं की तरफ आकर्षित हुए और इन परम्पराओं को हृदयंगम कर लिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सुविख्यात शिक्षक और सुप्रसिद्ध राजनीतिक विचारक हेराल्ड लाॅस्की के प्रिय शिष्यों में रहे जवाहरलाल नेहरू जार्ज बर्नार्ड शॉ और बर्ट्रेण्ड रसल के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विश्व, ब्रहमांड और समाज को समझने- परखने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने वाले जवाहरलाल नेहरू जैसे-जैसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मुखर होते गए वैसे- वैसे उनकी स्वतंत्रता...