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शहीद -ए-आजम की शहादत दिवस

 




शहीद -ए-आजम की शहादत दिवस

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              आज शहीद -ए-आजम भगतसिंह की शहादत दिवस है। भगतसिंह की शहादत ,ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत का मुक्ति संग्राम के क्रांतिकारी विरासत की ऐतिहासिक धरोहर है जो सदियों तक नौजवानों को अन्याय,दमन और शोषण के खिलाफ खड़ा होने के लिए उत्प्रेरित करता रहेगा। ऐतिहासिक धरोहर की मर्यादा बरकरार रखने व उसे संरक्षित करने की बृहद जिम्मेदारी हमारे उपर है। इसलिए शहादत दिवस हमारे लिए गौरव का दिन है।भगतसिंह की शहादत दुनिया के इतिहास में अन्याय और शोषण के खिलाफ हंसते - हंसते फाॅंसी के फंदे को चूमने का तनहा नज़ीर है । शोषण पर आधारित जिस समाज व्यवस्था को बदलने के वास्ते उन्होंने इंकलाब की आवाज को नैतिक ताकत दिया, क्या उस व्यवस्था से समकालीन समाज मुक्त हो चुका है?यह बहस का विषय है। भगतसिंह ने अपने दौर के नौजवानों को रूढ़ि, अंधविश्वास और अवैज्ञानिक हालात से उबार कर बुद्धिवाद की ओर मोड़ने का काम किया है।उनका दर्शन युवाओं और नागरिकों के बीच नई चेतना का प्रतीक बना हुआ है।

             1857 के विद्रोह से ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिल गयीं ,हुकूमत के कान खड़े हो गए और 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत का मुक्ति संग्राम के नायकों व आन्दोलनकारियों का दमन करने के वास्ते 'इण्डियन पेनल कोड 1860' निर्मित किया। इस कानून के भीतर दमन व शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले हिन्दुस्तानियों को देशद्रोही करार देने का कानून भी शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा निर्मित देशद्रोही करार देने वाली कानून को आजाद भारत की चुनी हुई कथित लोकतांत्रिक सरकारें देश के नागरिकों, सियासी व सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखक, पत्रकार, बुध्दि धर्मियों व असहमति की आवाज के विरुद्ध एलानिया तौर पर प्रयोग करने का शौक रखती हैं।

      मौजूदा दौर में भगतसिंह सदृश देश के कितने सियासी नुमाइंदों में इतना उत्साह, इतना साहस और मर - मिटने की आरजू है।उनका अदम्य साहस, उच्च आदर्श तथा किसी के आगे सिर न झुकाने वाली वह निर्भीकता सदियों तक कितने पथभ्रष्ट लोगों को रास्ता दिखायेगी। उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा अन्याय के मुकाबले खड़ा होने के बावत भारत के बच्चे -बच्चे के दिल में रमा दिया। भगतसिंह ने यह नारा ब्रिटिश अदालतों में सबसे पहले लगाया था। शहीद -ए-आजम आज हमारे बीच नहीं हैं परन्तु दमन और अन्याय के विरुद्ध भारतीय जनता जब भी ' इंकलाब जिंदाबाद ' का नारा लगाती है तो इसमें 'भगतसिंह जिन्दाबाद ' का स्वर भी छिपा रहता है।

भगतसिंह की शहादत दिवस पर विशेष।

भगतसिंह की स्मृतियों को सलाम!

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