Skip to main content

शहीदे आजम भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु के शहीद दिवस पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित हुआ

       




           

       हाथरस- 23 मार्च 2023, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  के तत्वावधान में आज शहीदे आज़म भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु का बलिदान दिवस स्थानीय भगतसिंह पार्क में आयोजित किया गया जिसमें भाकपा कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त तमाम नागरिक सम्मिलित हुये।

प्रारंभ में शहीदों- भगतसिंह सुखदेव राजगुरु एवं चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा. गिरीश, हाथरस नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन आशीष शर्मा, भाकपा जिला सचिव का. संजय खान, पूर्व सचिव चरन सिंह बघेल, सहसचिव का. सत्यपाल सिंह रावल, आरडी आर्या, मनोज चौधरी, हिमांशु बघेल अशोक गुप्ता, गौरव, कवि रफी आदि दर्जनों साथियों ने माल्यार्पण किया।

इस अवसर पर डा. गिरीश ने कहा कि भगतसिंह एक तार्किक और विचारवान व्यक्ति थे। वे स्पष्टतः मार्क्सवाद लेनिनवाद  के सिध्दान्त को मानते थे जो कि किसान मजदूर और सभी मेहनतकश वर्गों को पूंजीवादी- सामन्ती शोषण से मुक्ति दिलाने का सिध्दान्त है।

वे आजाद भारत में समाजवादी समाज के निर्माण के पक्षधर थे। उनका मानना था कि क्रान्ति का सिध्दान्त विचारों की शान पर पैना होता है। उनकी विचारधारा को दबाने के लिए ही यह जुमला गड़ा गया है कि बचपन में वे खेत में बंदूक बो रहे थे।

अपने क्रांतिकारी मिशन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने कई संगठनों का गठन किया। नौजवानों को संगठित करने के लिए नौजवान भारत सभा बनाई। उनके साथियों ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी का गठन किया जिसका लक्ष्य समाजवाद की स्थापना करना तय हुआ तो नाम बदल कर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन कर दिया गया।

वे कहा करते थे कि गोरे अंग्रेजों के जाने के बाद काले अंग्रेजों का शासन हमें मंजूर नहीं। आजाद भारत में किसानों मजदूरों का राज होना चाहिए। उनका यह सपना आज भी अधूरा है।

देश में सक्रिय सांप्रदायिक शक्तियों को ललकारते हुये उन्होंने सांप्रदायिकता को देश और जनता का दुश्मन बताया और कई लेख लिखे जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे।  सांप्रदायिकता पर लिखे गए उनके लेख का पहला वाक्य है- "इस सांप्रदायिकता ने तो देश का बेड़ा ही गर्क कर दिया है।"

सांप्रदायिक तत्व उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भले ही कर लें लेकिन भगतसिंह के विचार उन्हें ललकारते रहेंगे।

वे नास्तिक थे और मानते थे कि भोलीभाली जनता को धर्म के जाल में फंसा कर शोषक लोग उसका शोषण करते हैं। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने एक लिखा जिसका शीर्षक है- "मैं नास्तिक क्यों हूँ।"

आज भले ही देश की सत्ता पर सांप्रदायिक और वोट व लूट की राजनीति करने वालों ने कब्जा जमा लिया हो और भगतसिंह की विचारधारा को मानने वाली पार्टियां कमजोर हों, पर भगतसिंह की विचारधारा अंततः विजयी होगी और शोषणविहीन समाजवादी समाज अस्तित्व में आयेगा।

समाजवादी समाज की रचना का संकल्प लेना ही भगत सिंह और अन्य शहीदों के प्रति सच्ची श्रध्दांजलि होगी, डा. गिरीश ने जोर देकर कहा। डा. गिरीश

Comments

Popular posts from this blog

नगर पालिका क्षेत्र के बाहर हुए शहरीकरण तक स्ट्रीट लाइट लगाने संबंधी कार्य पूर्ण हुआ

                                           विषय - पूर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल द्वारा व्यापार बंधु की मीटिंग में शामिल कराए गए एजेण्डा नगर पालिका क्षेत्र के बाहर हुए शहरीकरण तक स्ट्रीट लाइट लगाने संबंधी कार्य पूर्ण होना बताते चले की व्यापार बंधु की होने वाली मीटिंग में जिलाधिकारी महोदय की अध्यक्षता में पूर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष मंजय सिंह द्वारा यह मांग किया गया था की बलिया शहर नगर पालिका क्षेत्र के बाहर भी शहरीकरण बहुत दूरी तक फैल चुका है इसलिए नगर पालिका क्षेत्र के बाहर जो बलिया शहर को हर सड़क जोड़ता है व्यापारियों की सुविधा को देखते हुए आमजन की सुविधा को देखते हुए स्ट्रीट लाइट लगाना बेहद जरूरी है जिसको जिलाधिकारी महोदय ने आदेशित किया हनुमानगंज और दुबहड ब्लॉक के वीडियो को कि आप इस कार्य को जल्द से जल्द पर करने के लिए वह कार्य आज धरातल पर पूर्ण हुआ है जिसमें गरवआर रोड में सात जगह स्ट्रीट सोलर लाइट लगाया गया जो की लाइट से नहीं सोलर से चलेगा यह अपने आप सूर्य की रोशनी में बंद हो जाएगा और रात ढलते ही जल जाएगा इसी इसी क्रम में सिकंदरपुर मार्ग पर भी सात जगह स्ट्रीट लाइट

बागी बलिया ने दिया श्री राष्ट्रीय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवगंत श्री सुखदेव सिंह गोगामेडी को श्रद्धांजलि

बागी बलिया में भी करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया  जिनकी हत्या पाँच दिसम्बर को उनके घर में घुसकर तीन पेशेवर हत्यारों ने गोलियों से छलनी कर दिया था । यह ख़बर जैसे ही मीडिया में आईं उनके समर्थकों ने राजस्थान से लेकर राँची तक दिल्ली से लेकर कलकत्ता और मुम्बई तक विरोध प्रदर्शन किया । राजस्थान छ दिसम्बर को बंद रहा । श्री सुखदेव सिंह गोगामेडी जी सर्व समाज के सामाजिक नेता थे  हिन्दू सनातन धर्म के सम्मान में हमेशा लगें रहते थे विशेषकर राजपूताने के शान थे,  क्षत्रिय समाज को मजबूत करने के लिये राजनीतिक दलों से टकराते रहते थे । जब भी भारतीय    इतिहास या देवी देवता  से छेड़छाड़ होती थी तब तब करणी सेना उसका विरोध पूरे देश में करती थी । जोद्धाअकबर और पदमावत फिल्म का जोरदार विरोध पूरे देश में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किया था,  हर व्यक्ति का भला हो सके इसी मनसूबे से राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश में  काम करते थे । बलिया नगर में श्रद्धांजलि देने के लिए सुखदेव सिंह गोगामेडी के मित्र और संघटन सहयोगी श्री संतोष प्रताप सिंह सहतवार कोठी बलिया के माल

बलिया में करणी सेना ने मनाई वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की 484 जयंती

  महाराणा प्रताप जयंती 2024: तिथि, इतिहास, महत्व और उत्सव 9 जून को मनाई जाने वाली महाराणा प्रताप जयंती 2024, राजस्थान के मेवाड़ के श्रद्धेय राजा की जयंती के रूप में मनाई जाती है। 9 जून  को  मनाई जाने वाली  महाराणा प्रताप जयंती 2024 ,  राजस्थान के मेवाड़ के  श्रद्धेय राजा की जयंती के रूप में मनाई जाती है  ।  9 जून, 1540 (हिंदू कैलेंडर के अनुसार  ) को जन्मे ,  मुगल सम्राट अकबर के  खिलाफ  हल्दीघाटी की लड़ाई  के दौरान महाराणा प्रताप की वीरता और नेतृत्व का  जश्न मनाया जाता है। अपने लोगों के प्रति साहस और समर्पण की उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती है, भारतीय इतिहास में उनकी अदम्य भावना और योगदान का सम्मान करते हुए पूरे राजस्थान में उत्सव मनाए जाते हैं। महाराणा प्रताप जयंती 2024 - तिथि महान राजा की जयंती के रूप में मनाई जाने वाली  महाराणा प्रताप जयंती  , हिंदू कैलेंडर के अनुसार  , इस वर्ष 9 जून को पड़ती है  । जबकि ऐतिहासिक रूप से,  महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था  , जूलियन कैलेंडर के अनुसार, ग्रेगोरियन कैलेंडर में परिवर्तन के कारण उनकी जन्मतिथि 19 मई, 1540 हो गई। हालाँकि, आधुन