बांगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा रोकने को कूटनीतिक प्रयास करे केन्द्र सरकार
वहाँ की हिंसा का बहाना लेकर भारत की शांति भंग करने से बाज आए सरकार और भाजपा
नई दिल्ली/ लखनऊ अगस्त 11, 2024
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डा॰ गिरीश ने बांगलादेश के अल्पसंख्यकों पर हिंसा के बहाने भारत के अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा भड़काने के प्रयासों पर निम्नलिखित बयान जारी किया है-
महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आरक्षण जैसे सवालों से आम जनता खासकर छात्र- युवाओं में व्याप्त आक्रोश को हथियार बना कर निहितस्वार्थी आंतरिक और बाह्य शक्तियों ने बांग्लादेश की लोकतान्त्रिक सरकार को न केवल अपदस्थ कर दिया अपितु वहाँ की पूर्व प्रधानमंत्री को देश छोड़ने को मजबूर कर दिया। सड़कों पर हिंसा, अराजकता और दबाव की राजनीति का दौर अभी भी जारी है।
इस व्यापक उथल पुथल के बीच वहाँ अल्पसंख्यकों पर जान माल के हमले और उनके धर्मस्थलों को हानि पहुंचाने की दुखद खबरें आती रहीं हैं। हम उसको कतई उचित नहीं ठहरा सकते और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उसकी निंदा की है। साथ ही वहाँ से आ रही वे खबरें सुकून देने वाली हैं कि वहाँ के अल्पसंख्यकों के जीवन संपत्ति और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए आंदोलनकारी छात्र और नागरिक भी सामने आए।
लेकिन हिंसा की इन खबरों पर भारत सरकार को जो रुख अपनाना चाहिए वो उसने नहीं ही अपनाया। उसे वहाँ की आर्मी और अन्तरिम सरकार को आगाह करना चाहिए था कि वह वहाँ के अल्पसंख्यकों पर हिंसा को तत्काल रोके। पर दुर्भाग्यवश ऐसा देखने को नहीं मिला। यहाँ उल्लेखनीय है कि अन्तरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने बयान दिया कि आन्दोलकारी हिंसा रोकें। पर अभी तक इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं दियाहै।
केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयास करने के बजाय शासक दल भाजपा, और उसके द्वारा पोषित अन्य समूहों ने भारत में बांग्लादेशियों के नाम पर अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसक अभियान छेड़ दिया है। अपनी ही पार्टी की केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करने के बजाय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार उकसावेपूर्ण बयान दे रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि कई जगह कथित हिंदूवादी संगठनों ने अल्पसंख्यकों पर हमले बोल दिये हैं।
उदाहरण के तौर पर गाजियाबाद में एक समूह ने एक झुग्गी झौंपड़ियों वाली आबादी पर हमला बोला और मकानों में आग लगा दी। वहाँ रहने वाले निवासियों को बंगलादेशी बता कर पीटा और लूटा। जबकि वे सब शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। अलीगढ़ में भी एक कथित सेना ने जुलूस निकाला और पुलिस को तींन दिन्न में बांग्लादेशियों को हटाने , नहीं तो अंजाम भुगतने का अल्टीमेटम दे दिया है। अब इसकी गाज किस आबादी पर गिरेगी कहा नहीं जा सकता।
जिम्मेदार पदों पर बैठे भाजपाइयों द्वारा उकसावे की कार्यवाहियाँ न रोकीं गईं और पुलिस प्रशासन ने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कड़े कदम न उठाए तो नाहक ही बांग्लादेश के हालातों की आग में हम झुलस जाएँगे। अतएव भाजपा और उसकी सरकार को जनता की आँखों में धूल झौंकने के बजाय बांग्लादेश में किसी के भी प्रति हो रही हिंसा को रोके जाने के लिए सख्त कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए और भारत में इसका लाभ उठाने से बाज आना चाहिए।
डा.गिरीश, राष्ट्रीय सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट
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