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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी होटलों को बेचे जाने का प्रबल विरोध करेगी भाकपा



भाजपा सरकारों द्वारा सरकारी संपत्तियों को बेचने के कदम को जनता की कठिनाइयाँ बढ़ाने वाला बताते हुये भारतीय कन्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डा. गिरीश ने निम्नलिखित प्रेस बयान जारी किया है- 


*उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी होटलों को बेचे जाने का प्रबल विरोध करेगी भाकपा 


*मध्य प्रदेश में रोडवेज को पुनः जीवित करने को 30 अगस्त को वहाँ प्रदेश व्यापी आंदोलन होगा 


*केंद्र सरकार द्वारा जन-उपक्रमों की हिस्सेदारी बेचने की योजना का भी विरोध करेगी भाकपा 


लखनऊ- 29 अगस्त 2024, आजादी के बाद अथक प्रयासों से सँजोयी गयी जनता के स्वामित्व वाली संपत्तियों को बेहद कम कीमतों पर पूंजीपतियों को सौंप देने वाले कदम निश्चय ही जनता की कठिनाइयों में इजाफा करते हैं, उसकी जेब पर डाका डालते हैं और आमजन की आकांक्षा मे बसी समाजवाद की भावना के विपरीत हैं। यों तो साढ़े तीन दशक से सभी पूंजीवादी सरकारों द्वारा इन संपत्तियों को बेचने का खुला खेल चल रहा है, पर भाजपा की सरकारें इस काम में सबसे आगे हैं। 


कल ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी होटलों को निजी कंपनियों को बेचने का फैसला सामने आया है, केंद्र सरकार द्वारा दर्जन भर से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की हिस्सेदारी पूँजीपतियों के हाथों बेचने की योजना सामने आयी है तो भाजपा की ही मध्यप्रदेश सरकार ने गत वर्षों में रोडवेज को प्रायवेट कर आम जनता को सड़कों पर ला कर खड़ा कर दिया। 


जिन नयी आर्थिक नीतियों को अमल में लाते हुये पूंजीवादी दलों ने सार्वजनिक संपत्तियों/ उपक्रमों को पूँजीपतियों को सौंपना शुरू किया है, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शुरू से ही इसका पुरजोर विरोध कर रही है। 


गत दिन उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी होटलों को निजी कंपनियों को बेचने का फैसला ले डाला। सरकार द्वारा आजादी के बाद ये होटल प्रदेश में पर्यटन के विकास और मुसाफिरों कों सस्ती और अच्छी सुविधा दिलाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। लेकिन हाल के दशकों में प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही सरकारों ने इनको खोखला बना कर बेचने के लिए आधार तैयार किया है। 


आज भी इन होटलों के पास बेशकीमती पर्याप्त भूमि है, तथा वे उचित दामों में सुविधाएं मुहैया कराते हैं, जो निजी होटलों की तुलना में कम और अच्छी हैं। लेकिन सरकारों ने इनमें नए स्टाफ की भर्ती, मरम्मत और विकास की प्रक्रिया रोक कर इन्हें दम तोड़ने की स्थिति में ला दिया। बावजूद इसके बचे-खुचे कर्मचारी इन्हें अपनी मेहनत और लगन से चला रहे हैं। इन होटलों को आर्थिक मदद देकर मौजूदा स्थिति से उबारने की जरूरत है मगर भाजपा सरकार ने इन्हें पूँजीपतियों का निबाला बना दिया। जनता के स्तर से इसका पुरजोर विरोध अपेक्षित है। 


अपने जन्मकाल से ही पूंजीवाद और निजीकरण की अन्ध समर्थक रही भाजपा हर स्तर पर सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने के काम में लगी है। अभी अभी केंद्र सरकार ने लगभग एक दर्जन पब्लिक सेक्टर यूनिट्स की हिस्सेदारी को पूँजीपतियों के स्वामित्व वाली कंपनियों को बेचने की योजना बनाई है। 


सार्वजनिक उपयोग के उपक्रमों के निजीकरण से जनता को कितनी कठिनाइयों से गुजरना होता है, यह मध्य प्रदेश के परिवहन निगम के निजीकरण से समझा जा सकता है। अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक मात्र 15 माह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्री बाबूलाल गौर ने वहाँ की रोड़वेज को ही बेच डाला। बस अड्डो, परिवहन निगम के कार्यालयों की अपार संपत्ति और हजारों बसों के काफिले को पूँजीपतियों को दे डाला। मध्य प्रदेश जैसे विशाल क्षेत्र वाले प्रदेश जिसमें रेल नैटवर्क भी सीमित है, की जनता तभी से प्रायवेट बस मालिकों की मनमानी, दादागीरी और लूट को झेल रही है। 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उस समय भी इस निजीकरण को जनता के प्रति कुठाराघात बताते हुये अपनी आवाज उठाई थी और अब पुनः वह “मध्य प्रदेश परिवहन निगम को पुनः चालू करो; निजी बस आपरेटरों की लूट से जनता को बचाओ” नारे के अंतर्गत एक दूरगामी आंदोलन की शुरूआत की है। 30 अगस्त को भाकपा समूचे मध्य प्रदेश में धरने- प्रदर्शन करेगी। 


उत्तर प्रदेश में भी सरकारी होटलों की बिक्री और केंद्रीय उपक्रमों को बेचे जाने को आगामी आंदोलनों के मुद्दों में शामिल किया जाएगा और धर्म, विभाजन, नाम परिवर्तन और बुलडोजर की आड़ में जनता की संपत्तियों को पूँजीपतियों को सौंपे जाने को लेकर भाजपा और उसकी सरकार को बेनकाव किया जाएगा। 


डा. गिरीश, राष्ट्रीय सचिव 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

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