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Showing posts from September, 2023

देश भर के नौजवानों में राजनैतिक-सामाजिक चेतना का अभाव है, बोले संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के नेता

  28 सितंबर 1907 में जन्मे शहीदे आजम भगत सिंह जी के जन्मदिन पर विशेष लेख- आज देश का दुर्भाग्य है कि ईकीसवी सदी में भी देश के पचास करोड़ नौजवान बेरोजगार हैं,  पचास करोड़ लोग  गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने  को मजबूर हैं,  सरकार पिछले पांच सालों  से अनाज बाँट कर गरीब दिहाडी बेरोजगार जनता का पेट भर रही है लेकिन फिर भी नौजवान और युवा पीढ़ी चूप हैं । शहिदे आजम भगत सिंह जी के सपनों का भारत आज बेरोजगार भारत बन चूका है 8 सितम्बर 1907 में जन्मे शहीदे आजम भगत सिंह जी ने देश की आजादी के लिये लड़ो और मारो का नारा दिया था जिस से गुलाम भारत में एक लहर दौड़ गई थी देश भर में क्रन्तिकारी नौजवानों की टोली अंग्रेजों के खिलाफ लडने  और मारने के लिए तैयार हो गई थी । लेकिन आज 2023 में नौजवानों को अलग-अलग जातियों और धर्मों में बाँट कर बीजेपी और संघ परिवार के सरकारों ने नौजवानों और  युवाओं को बेरोजगार बना दिया है तथा युवाओं की चेतना,  संघर्ष करने की क्षमता खत्म कर दिया है  आज देश में जातिवाद और  धर्मवाद ने नौजवानों और  युवाओं को गुमराह कर कमजोर बना दिया है  जिसकी वजह से नौजवान अपने अधिकारों के लिये,  रोजी र

खौफ़ के साए में जी रहे हैं बैंक मैनेजर संजय कुमार इलाहाबाद इंडियन बैंक बलिया शाखा सहतवार कोठी

 *Location*- Ballia. *Report*-S.Asif Hussain zaidi. *Mob*-8808101134 *खौफ़ के साए जी रहे हैं  बैंक मैनेजर संजय कुमार*  बलिया: इलाहाबाद इंडियन  बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक संजय कुमार को फोन पर जान से मारने की धमकी देने का मामला आया है। प्रबन्धक की माने तो बैंक से 55 लाख का लोन वाले रजनीश राय द्वारा लोन  पार्टी के नही भरने के कारण 13- 4 बैंक सरफेसी एक्ट के तहत प पोजीशन हम सभी लोग  वरिष्ठ प्रबंधक गौरव कुमार, मुख्य प्रबंधक राकेश चंद्र, और इलाहाबाद इंडियन बैंक के बलिया स्थित शाखा प्रबंधक  संजय कुमार  जाते है।  नोटिस चस्पा की कार्रवाई की थी थी आरोप है कि जिसके बाद फोन पर रजनीश राय ।   द्वारा धमकी दि गई । रजनीश राय के द्वारा दिये गये धमकी का ऑडियो भी सामने आया है। मामले में बैंक प्रबंधक काफी डरे हुए है अनहोनी की आशंका जताई है। मामले की सूचना स्थानीय पुलिस और उच्चाधिकारियों को दी है लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है ।  संजय कुमार शाखा प्रबंधक इलाहाबाद 

भारतीय राजनीति ने कर्मचारियों संघटन को कमज़ोर कर सरकारी तथा ग़ैर सरकारी कंपनियों में लूटपाट सरकारी नीतियों के कारण ही संभव

 अंग्रेजों के खिलाफ लडने वाले कर्मचारियों, मजदूरों, कामगारों की हालत नाजुक दौर में पहुँच चूकी है जहाँ उनकी सभी सुविधाओं की कटौती सरकारी नीतियों के द्वारा लगातार किया  जा रहा है , बीजेपी सरकार के आने के बाद से स्थिति और खराब हो चूकी है,  सरकार मन मानें तरीक से इनका शोषण कर रही है । 1, पेंशन खत्म किये गये  2, ओभर टाइम बंद कर दिया गया  3, आठ घंटे काम करने वाले समय को बढा कर 12 घंटे किया गया है यानी 24 घंटों में जहाँ तीन कर्मचारी आठ घंटे के हिसाब  काम करते अब सिर्फ दो मजदूर काम करते हैं । 4, कल कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए सभी  सुविधाओं तथा provident fund , ESI , overtime,  bonus , gratuity,  leave , salary on time etc etc  बीजेपी सरकार ने कर्मचारी संघटन या नया यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म किया है,  हड़ताल करने,  लम्बे समय तक छुट्टी पर जाने या निजीकरण के लिए कारखानों के कानून में परिवर्तन कर सभी अधिकार कारखानों के मालिकों को दे दिया है । लेबर कानून में परिवर्तन कर सभी अधिकार कारखानों के मालिकों को दे दिया है तथा कर्मचारी संघटन को कमज़ोर कर दिया है । ऐसे में संतोष प्रताप सिंह

भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! इस बहस को मजबूत करने के लिये मेरा समर्थन संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार

 बहस तलब मुद्दा।  भारत में बिखरता सत्ता समंवय ! 1947 में आजादी मिलने के बाद  संविधान सभा में विचार विमर्श और विद्वतापूर्ण बहसों के बाद भारत के लगभग सभी विचारधाराओं के लोगों ने संविधान को सर्वसहमति से स्वीकार किया था। यानी नवजात भारतीय राष्ट्र राज्य के शासक वर्ग को उस समय‌ सर्वभौम संघात्मक गणतांत्रिक भारत की संरचना ही सबसे ज्यादा उपयुक्त लगी थी।   इसको दो उदाहरण से देखा जा सकता है।   एक- डॉक्टर अंबेडकर की सोच थी कि भारतीय समाज के लोकतांत्रिक रूपांतरण केलिए वर्ण व्यवस्था यानी जाति का विनाश पहली शर्त है। नहीं तो लोकतंत्र को टिकाए  नहीं रखा जा सकता।इस समझ से अधिकांश संविधान सभा के सदस्य अपनी वर्ण वादी सोच के कारण सहमत नहीं थे।इसके बाद भी डॉक्टर अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना गया।   दूसरा- दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  वर्ण व्यवस्था समर्थक बाबू राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे हिंदू महासभा के नेता और  मौलाना हसरत मोहानी सहित कई घोषित कम्युनिस्ट और सोसलिस्ट भी संविधान सभा के सदस्य थे।   इस बात से यह स्पष्ट है की तत्कालीन

आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐- संतोष प्रताप सिंह लोक सभा बलिया के भावी उम्मीदवार ने किया समर्थन

 27 मई 1964 - पुण्य स्मृति  आधुनिक भारत में लोकतंत्र के संस्थापक एवं पथ प्रदर्शक थे नेहरू ‐-    मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की भाषा में जवाहरलाल नेहरू पूर्णतः अपने पिता के पुत्र थे, जबकि- गांधी जी अपनी माता की संतान थे। जवाहर लाल नेहरू ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू से स्वतंत्रता, साहस की भावना, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ़ इच्छाशक्ति, अविचल संकल्प और अभिजात्य संस्कार विरासत में पाया था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए जवाहरलाल नेहरू ने लगभग सात वर्ष इंग्लैड में व्यतीत किया। इस दौरान वह ब्रिटेन में प्रचलित मानववादी उदारवाद की परम्पराओं की तरफ आकर्षित हुए और इन परम्पराओं को हृदयंगम कर लिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सुविख्यात शिक्षक और सुप्रसिद्ध राजनीतिक विचारक हेराल्ड लाॅस्की के प्रिय शिष्यों में रहे जवाहरलाल नेहरू जार्ज बर्नार्ड शॉ और बर्ट्रेण्ड रसल के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विश्व, ब्रहमांड और समाज को समझने- परखने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने वाले जवाहरलाल नेहरू जैसे-जैसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मुखर होते गए वैसे- वैसे उनकी स्वतंत्रता, समानता, लोकतंत्र,

*-पुरानी पेंशन बहाली को लेकर ऊ०प्र० माध्यमिक शिक्षणेत्तर एसोसिएशन संघ का धरना प्रदर्शन*.

*Place*-Ballia.U.P *Report* S.Asif Hussain  *Place*-Ballia.U.P *Report* S.Asif Hussain zaidi. *Mob* 8808101134 *-पुरानी पेंशन बहाली  को लेकर ऊ०प्र० माध्यमिक शिक्षणेत्तर एसोसिएशन संघ का धरना प्रदर्शन*. *Anchor*-खबर उत्तर प्रदेश के बलिया से जहां उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षणेत्तर एसोसिएशन (संघ) ने अपनी 13 सूत्री मांगों को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय पर धरना/ प्रदर्शन किया, इस अवसर पर संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष सैय्यद मोहम्मद मुजतबा हुसैन ने कहा कि पूर्व सरकारों की भांति वर्तमान सरकार भी हमारी लंबे समय से चली आ रही हमारी मांगों की अनदेखी कर रही है। अब शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ आरपार की लड़ाई के लिए तैयार है, और संघर्ष की इस कड़ी में जिलों पर धरने का कार्यक्रम आयोजित कर ज्ञापन देनें का कार्यक्रम रखा गया है। अगले चरण में मंडल स्तर पर ,और लखनऊ स्थित शिक्षा निदेशक के शिविर कार्यालय पर बड़ी संख्या में पहुंचकर धरना प्रदर्शन आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया गया है। अगर शासन की ओर से सकारात्मक रुख नहीं अपनाया गया तो हम कड़े संघर्ष के लिए तैयार हैं पुरानी पेंशन का संघर्ष निर्णायक दौर में है

बलिया। हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन एवं उनके 72 साथियों की शहादत के याद में 25सफर रविवार को निकाला गया शिया मस्जिद से जुलूस

 बलिया।  हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन एवं उनके 72 साथियों की  शहादत के याद में 25सफर रविवार  को अंजुमन हाशमीमियां विशुनीपुर के तत्वावधान में 41 वां जुलूसे चेहल्लुम स्व.मुनीर हसन जैदी के प्राचीन इमाम बारगाह से शिया समुदाय के लोगों  द्वारा निकाला गया। इसके पूर्व इमाम बारगाह में मजलिसे अज़ा को सम्बोधित करते हुए अल्लामा आज़ीम जौरासी ने कहा कि हर वर्ष अरबयीन (इमाम हुसैन के चेहल्लुम) में शामिल होने वाले लोगों केवल हुसैनी समाज के ही लोग शहीदाने कर्बला के प्रति दुख व्यक्त करने के लिए कर्बला नहीं पहुंचे थे, बल्कि हर समाज हर बिरादरी के लोग पहुचते है।जो इस बात को दर्शाता है कि इमाम हुसैन का पैगामे इन्सानियत  हर जाति धर्म के लोगों में अपनी जगह बना चुका है। उन्होंने कहा कि हमें जुल्म का  नहीं बल्कि मजलूम के साथ हमेशा खड़ा रहना चाहिए। वाकेयाते कर्बला त्याग, बलिदान और अंहिसा की सीख देता है। उनके इस मैसेज को पूरी दुनिया में आपसी भाईचारे और जज्बे को फैलाना है।हम हुसैनी है तो हमारी पहचान भी इमाम के रास्ते पर चलते रहना और पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद के दीन हिफाजत के होना चाहिए। इसके जवाब ह

घोसी( उत्तर प्रदेश)उप चुनाव- बदलते सामाजिक समीकरण का संकेत

  घोसी( उत्तर प्रदेश)उप चुनाव- बदलते सामाजिक समीकरण का संकेत। त्वरित टिप्पणी। 3:00 बजे के आसपास  टिप्पणी लिखे जाते समय तक घोसी में सपा के प्रत्याशी को निर्णायक बढ़त मिल चुकी है। तीन बजे तक मिली जानकारी के अनुसार सपा प्रत्याशी 45हजार के अन्तर  से आगे हैं । वैसे पहले से ही यह अनुमान लगाए जा रहे थे कि सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान पर भारी पड़ेंगे।लेकिन चुनाव परिणाम ने सारे  राजनीतिक विश्लेषको के आंकलन को गड़बड़ा दिया है। जिस तरह सत्ता पक्ष और विपक्ष ने पूरी ताकत झोंक दी थी।  उससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अंतिम लड़ाई कांटे की होगी । घोसी विधानसभा अतीत में एक विशेष तरह की विधानसभा रही है जिसे कभी उत्तर प्रदेश का केरल कहा जाता था। अब यह बीते जमाने की बातें हैं। 90 के दशक के बाद बदली हुई भारत की सामाजिक राजनीतिक स्थितियों से घोसी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। जिस कारण कम्युनिस्ट पार्टी धीरे-धीरे हासिए पर चली गईऔरबसपा ने सोशल इंजीनियरिंग द्वारा दलितों अतिपिछड़ों अल्पसंख्यकों का समीकरण बनाकर घोसी सहित मऊ जनपद पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया। कांग