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Showing posts from May, 2023

टैगोर जी की लिखी गई वह लाईन ऐकला चलो रे करोड़ों लोगों को प्ररेणा आज भी देती है

 7 मई- जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं- भारतीय मेधा और साहित्य के वैश्विक प्रतिनिधि थे टैगोर-   कवि, दार्शनिक, शिक्षाविद, उत्कट देशभक्त, सर्वश्रेष्ठ मानवतावादी, प्रकृतिवादी, उच्च कोटि के पर्यावरणविद तथा विश्व बंधुत्व और विश्व नागरिकता के प्रखर समर्थक रबिन्द्र नाथ टैगोर भारत की साहित्यिक , सांस्कृतिक , दार्शनिक और आध्यात्मिक आत्मा के अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ता थे। वह भारतीय मेधाशक्ति और ज्ञान-प्रज्ञा की महान परंपरा के रूप मे महाकवि कालिदास, माघ, जयदेव, सूरदास, सैयद इब्राहीम रसखान, और तुलसीदास की परम्परा के अपने समकालीन ध्वजवाहक थे। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की स्वरलहरियों जैसी उनकी वाणी और लेखनी में अद्भुत सम्मोहन शक्ति थी। इकलौते रबिन्द्र नाथ टैगोर भारतीय बसुन्धरा के विरले लेखक और कवि हैं जिनके लेख सम्पूर्ण बंगाली जनमानस के हृदय में समाहित है और उनके गीत हर बंगाली मन मस्तिष्क में हमेशा तरोताजा रहते हैं। अपने दौर की सारी संकीर्णताओं और दकियानूसी ख्यालों से आगे बढ़ कर रबिन्द्र नाथ टैगोर ने वैश्विक और  मानवतावादी अंतर्दृष्टि अपनाते हुए अपनी साहित्यिक सर्जनाओं और रचनाओ

बलिया की जनता को बीजेपी के उम्मीदवार मिठाई लाल की मिठाई सब से ज्यादा पसंद आईं

बलिया नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर बीजेपी के उम्मीदवार मिठाई लाल की जीत ने शाबीत कर दिया है की बीजेपी और संघ परिवार का दबदबा बाग़ी बलिया में क़ायम है जो देश भर में धीरे-धीरे कम हो  रहा है । अभी  देश भर में कर्नाटक का चुनाव चर्चा का विषय है कि कांग्रेस पार्टी ने भारी मतों से बीजेपी और संघ परिवार को हराया है । आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर ही चलेगी ऐसा मीडिया रिपोर्ट है   

पिता की गोद में तड़पते बच्चे को देख मौजूद सभी की आंखें नम हुई

 *Location* *Ballia* *Report*- S.Asif Hussain zaidi. *Mobile No-- 8808101134*  पिता की गोद में तड़पते बच्चे को देख मौजूद सभी की आंखें नम हुई। बलिया- खबर एक मजबूर पिता कि है , पिता अपनी ही गोद में अपने   दर्द से तड़पते मासूम बच्चे को देखने को मजबूर है। खबर बलिया के बांसड़ीह थाना क्षेत्र अंतर्गत नारायणपुर गांव के  निवासी मदन राठौर कि है मदन अपने बच्चे की पीड़ा को दूर करने के लिए दर-दर भटक रहा है, बच्चे की आंखें मे एक बड़ा फोडा़ है, जिसके ईलाज के लिए  मजबूर परिवार  पैसे के अभाव में अपने पिडी़त बेटे  का इलाज नहीं करा पा रहा है। आप सोच सकते हैं  बीमार बच्चा जब तड़पता होगा  तो मां-बाप पर क्या बितती  होगी।  गंभीर बीमारी पैसे के अभाव में इलाज के बिना परिवार   दर-दर भटकने पर मजबूर है। एक बाप अपने बीमार बच्चे को लेकर दर-दर भटक रहा है ऐसी बीमारी जिसके इलाज के लिए ढेर सारे पैसे कि जरुरत है। पैसे के अभाव के कारण आंख में हुए फोड़े के  दर्द से  तडपते  अपनें बच्चे को देखने पर मजबूर है, लेकिन चाह कर भी अपने बेटे को दर्द से निजात नहीं चला पा रहा है। वैसे तो समाज की सेवा करने वाले बहुत सारे नेता समाजसेवी आप

बलिया नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर समाजवादी पार्टी की हार का कारण पार्टी में गुटबाज़ी

 13 तारीख को उतर प्रदेश से निकाय चुनाव का परिणाम आया तब जनता को  बहुत आश्चर्य हुआ कि बीजेपी ने सभी महत्वपूर्ण शहरों के पंचायतों, परिषद और शहरों के मेयर पदों पर बीजेपी सरकार के प्रभाव से बीजेपी पार्टी ने ही जीता या कब्जा कर लिया है । उत्तर प्रदेश में विपक्षियों के हार का एक कारण समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओ में आपस में गुटबाज़ी, पार्टी के उम्मीदवार का विरोध और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से भी हुआ है इसका उदाहरण बलिया ज़िले में हुए कई नगर पालिका परिषद में दिखाई पडा,  जहाँ समाजवादी पार्टी के नेता मजबूती से लड़े वह सीट समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने  जीता । सहतवार,  बासडीह,  मनियर आदि नगर पालिका समाजवादी पार्टी के नेताओ ने जीता वही बलिया सदर विधान सभा में बलिया नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार हार गया,  कारण निर्दलीय प्रत्याशी जो समाजवादी पार्टी का ही नेता था समाजवादी पार्टी के विरोध में सब से आगे था । शायद समाजवादी पार्टी के अंदर अनुशासन की कमी ही संघटन को कमजोर कर रही है हालांकि पार्टी ने उम्मीदवार और उनके समर्थगकों को समाजवादी पार्टी

बलिया वार्ड नंबर 23 से निर्दल प्रत्याशी परवेज़ को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन ने बलिया का लाल बना दिया

बलिया वार्ड नंबर 23 से निर्दल प्रत्याशी परवेज़ को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन ने बलिया का लाल बना दिया   भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की आजादी के लिये लडो और मरो का नारा दिया था जहाँ शहीदे आजम भगत सिंह जी के विचारों वाला नेता पैदा करने की क्षमता है वही आज धन दौलत की राजनीति में परवेज आलम जैसा कम्युनिस्ट भी दर्जी का काम करते हुए भी लोकतंत्र बचाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए सभासद के चुनाव में मैदान में  है । गरीब दिहाडी मजदूर दर्जी समाज का आईना परवेज़ भाई को चुन कर इतिहास लिखने के लिए बलिया की जनता को आगे आना चाहिए ताकी लोकतंत्र को बचाया जा सके और देश भर में  भाईचारा स्थापित किया जा सके 

अगर भारत में चाय बेचने वाला देश का प्रधान मंत्री बन सकता है तो बागी बलिया में एक दर्जी परवेज सभासद क्यों नहीं

 भारत बर्ष की अपनी राजनैतिक पहचान दुनिया में क़ायम है जो देश में  लोकतंत्र का निर्माण करने के लिए सक्षम है जीसमे बाग़ी बलिया की भूमिका अहम है जहाँ एक किसान  का बेटा  देश के सबसे उंचे  पद राष्टपति और प्रधान मंत्री तक जनता और जनता के वोट से पहुँच जाता है,  माननीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी और देश के पहले राष्ट्रपति भूतपूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी इसी भारत की कहनी है । समय परिवर्तनशील है  समय समय पर भारतीय लोकतंत्र की ताक़त और इसकी खूबसूरती की झलक मिलती है आज गुजरात के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला देश का प्रधान मंत्री बन सकता है किसी ने सोचा नहीं होगा लेकिन नरेन्द्र मोदी देश के करोड़ों लोगों के वोटों से आज भारत के प्रधान मंत्री के रूप में मौजूद हैं  बलिया की जनता को क्रान्तिकारी सलाम करते वार्ड नंबर 23 से   सभा सद के उम्मीदवार परवेज़ भाई उर्फ बड़े आज कल निकाय चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा में है,  चुनाव चिन्ह छाता के साथ अकेले परिवार  के हर छोटे बडे सदस्यों के साथ  चुनाव चिन्ह छाता के लिए सभी से वोट मांगने निकलते हैं । बाग़ी बलिया इस बार वार्ड नंबर 23 से परवेज़

महान शिक्षक दार्शनिक चिंतक क्रांतिकारी गुरु और नेता कार्ल मार्क्स के जन्मदिन पर संक्षिप्त टिप्पणी

 महान शिक्षक दार्शनिक चिंतक क्रांतिकारी गुरु और नेता कार्ल मार्क्स के जन्मदिन पर  संक्षिप्त टिप्पणी।  अब तक की दुनिया के ज्ञात इतिहास के  सबसे बड़े चिंतक दार्शनिक वैज्ञानिक क्रांतिकारी कार्ल मार्क्स के जन्मदिन पर मैं उन्हें नमन करता हूं।   मार्क्स ने कहा था कि' दार्शनिकों ने अभी तक दुनिया की व्याख्या की है । जबकि सवाल उसको बदलने का है'। मार्क्स जब यह कह रहे थे तो यह उनके दिमाग में सिर्फ कोरी कल्पना नहीं थी ।बल्कि उन्होंने दुनिया को बदलने के उस मूल सिद्धांत को खोज निकालने का अथक परिश्रम किया था। जिसके कारण दुनिया में सामाजिक क्रांतियां हुआ करती हैं। साथ ही उन्होंने सामाजिक क्रांतियों के  उस नेता की भी तलाश की जिसके नेतृत्व में अब तक मनुष्य समाज में  नए-नए कांतिकारी बदलाव हुए हैं।    मार्क्स उस समय पूंजीवादी सभ्यता के बीच से गुजर रहे थे । साथ ही पूंजीवाद केअध्ययन में संलग्न थे। पूंजीवाद के उन आंतरिक कारकों की व्याख्या करने मैं लगे हुए थे। जिसके कारण समय-समय पर पूंजीवाद के गर्भ मे पल रही क्रांतियों के तूफान उठ खड़े हो रहे हैं।   मार्क्स ने उस वर्ग की तलाश की जो पूंजीवादी समाज को ब
 5 मई - बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं  सत्य, अहिंसा और करूणा के देवदूत थे महात्मा बुद्ध--   सोवियत रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे भीषण युद्ध और इस युद्ध को रोकने के प्रयासों के मद्देनजर आज से ढाई हजार साल पहले महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित पंचशील का सिद्धांत  प्रासंगिक होने लगता है। व्यक्तिगत , सामाजिक और राजनीतिक जीवन को सुख्मय, शाॅतिमय, और ज्योतिर्मय बनाने के लिए महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम सारनाथ में पंचशील का उपदेश दिया था । बसुन्धरा के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा पंचशील के सिद्धांतों का ईमानदारी और श्रद्धापूर्वक पालन करने से स्वस्थ, समरस, सहिष्णु और सबके रहने लायक समाज और संसार बनाया जा सकता हैं। इस तरह    भारत में प्रथम सामाजिक क्रांति के प्रणेता युग प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के कालजयी विचार और दर्शन वैश्विक मानवता को सर्वदा और सर्वत्र राह दिखाते रहेंगे। त्याग, तपस्याओं और साधनाओं के फलस्वरूप प्राप्त ज्ञान ,दर्शन और विचार सार्वभौमिक और सर्वकालिक होते हैं तथा उसकी की गूंज और गंध दूर गगन तक लोकमानास में युगों-युगों तक कायम रहती है। अब से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व मानवता को स

कार्ल मार्क्स की 205वीं जयंती ( 5 मई ) के अवसर पर-

  कार्ल मार्क्स की 205वीं जयंती ( 5 मई ) के अवसर पर- लुटेरी व्यवस्था को बदलने का सबसे प्रहारक औज़ार है मार्क्सवाद डा॰ गिरीश ·         “जैसे हम कम्युनिस्ट पार्टियों की आलोचना करते हैं, अब सत्ता में नहीं हैं वो, कहीं नजर नहीं आते, एक केरल में कोने में बैठे हैं, फिर भी वो विचारधारा खतरनाक है।“- श्री मोदी। एक विशद लोकतान्त्रिक देश में, लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चुन कर आये, सत्ता शिखर पर विराजमान व्यक्ति द्वारा आज़ादी के बाद पहली बार कम्युनिस्टों और उनके सिध्दांत के बारे में इस तरह के विचार व्यक्त किए गये हैं तो यह स्वतः गंभीर विचार का विषय बन जाता है। यह उपर्युक्त कथन के वक्ता की नीयत और इरादों पर भी सवाल खड़े करता है। हां ! हमारी विचारधारा खतरनाक है क्योंकि एकमात्र वही सिध्दांत है जिसके मानने वालों ने आपके द्वारा ओढ़े गए धर्म- संस्क्रति और आस्था के चोगे को उघाड़ कर  देश दुनियाँ और जनता के सामने ला दिया कि आप सिर्फ और सिर्फ शोषक पूंजीवाद, जो आज कारपोरेट राज बन चुका है, उसके दुमछल्ले मात्र हैं। और अपने इस कुरूप पर पर्दा डालने को ही आपने यह धर्म- संप्रदाय- जाति का लबादा ओढा हुआ है। जब तुम्हारे गि

वामपंथी राष्ट्रपति के पुनः सत्तारूढ़ होने के बाद- ब्राज़ील में हक- हकूक की लड़ाइयों ने गति पकड़ी

वामपंथी राष्ट्रपति के पुनः सत्तारूढ़ होने के बाद-  ब्राज़ील में हक- हकूक की लड़ाइयों ने गति पकड़ी।  डा॰ गिरीश  राज सत्ता पर जब लोकतान्त्रिक, प्रगतिशील अथवा वामपंथी शक्तियां काबिज होती हैं तो हक और हकूक की लड़ाइयाँ तेज होती हैं और लोग रोजी, रोटी तथा अधिकार प्राप्त करने के संघर्षों को आगे बढ़ाते हैं। सत्ता पर जब तानाशाह, क्रूर और निजस्वार्थपरक शक्तियां काबिज होती हैं तो हक- हकूक की लड़ाइयों को कुचल कर धर्म, जाति, संस्कृति और क्षेत्र के नाम पर टकरावों को आगे कर देती हैं।  वामपंथी राष्ट्रपति लूला डी॰ सिल्वा की जीत के बाद ब्राज़ील में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। गत दक्षिणपंथी राष्ट्रपति बोल्सोनारो की जनता के प्रति आक्रमणकारी नीतियों के चलते जनता के हितों के लिए लड़े जाने वाले संघर्ष थम गए थे, वे आज पुनः मुखरित होने लगे हैं।  ब्राज़ील एक  ऐसा देश है जहां कृषि उद्योग बहुत ताकतवर है और अधिकतर ज़मीनों पर बड़े फार्म मालिकों का कब्जा है। फार्म लाबी वहाँ की सत्ता पर सीधे नियंत्रण जमाती रही है। परिणामतः वहाँ भूमिहीनों की संख्या पर्याप्त है, जो भूमि पर भागीदारी पाने को लंबे समय से संघर्षरत हैं।  बोल्सोनारो

बलिया के विकास में धन की कमी नहीं आएगी आड़े -सीएम योगी

 *Place*-Ballia.U.P *Report*-S.Asif.H. Zaidi. *Mo*-8808101134 *बलिया के विकास में धन की कमी नहीं आएगी आड़े -सीएम योगी*    खबर यूपी के बलिया से है जहां अपने चुनावी दौरे पर पहुंचे  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का माला पहना कर जबरदस्त हुआ स्वागत। सीएम योगी अपने स्वागत के बाद जनसभा को संबोधित करते कहा बलिया क्रांतिकारियों व वीरोँ कि धरती है। महान स्वतंत्रता सेनानी, मंगल पांडेय, चित्तू पान्डेय, हजारी प्रसाद द्विवेदी, चन्द्र शेखर कि धरती है। इसके बाद - भृगु बाबा कि तपोभूमि को नमन करते हुए कहा *बलिया जिला घर बा त कौनी बात के डर बा।* सीएम योगी नें कहा- बलिया में विकास को एक साजिश के तहत विकसित नहीं होने दिया गया। बलिया.के लोगों की सहजता, विवविधता  सरलता, और सहजता के कारण यहां के लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ी । लेकिन अब ऐसा नहीं होगा बलिया के लोग अपनी कीमत ब्याज समेत वसूलेंगे। 2017 से पहले नौजवानों के हाथों में कट्टा हुआ करता था। लेकिन 2017 के बाद उन नौजवानों के हाथोँ में टैबलेंट दे कर उन्हें स्मार्ट बना कर हमारी सरकार द्वारा  उनकी प्रतिभा को आगे आगे बढ़ाया जा रहा है। 2017 से पहले अपराधी सीना ता

मुख्यमंत्री योगी के आगमन को लेकर एडीजी जोन वाराणसी ने किया जनसभा का स्थलीय निरीक्षण

 *स्थान*- *बलिया* खबर उत्तर प्रदेश के बलिया से मुख्यमंत्री  योगी के आगमन को लेकर एडीजी जोन वाराणसी ने किया जनसभा का स्थलीय निरीक्षण। रिपोर्ट-आसिफ हुसैन जैदी स्थान -बलिया यूपी डेट - 02/05/2023 खबर यूपी के बलिया से हैं जहां  एस.सी कॉलेज के मैदान में प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।  तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे  एडीजी जोन वाराणसी राम कुमार ने सीएम की सभा का किया स्थल  निरीक्षण । मीडिया कर्मियों से  बातचीत में उन्होंने बताया कि यहां जो वीवीआईपी और लोग आएंगे उनके पार्किंग और ट्रैफिक की अबतक की व्यवस्था समीक्षा करने के लिए यहां हम यहां आये हुए हैं ।  वैसे तो डीएसपी और एसपी ने मिलकर तैयारी पहले से कर रखी है। लेकिन आज समीक्षा के बाद ब्रीफिंग की जाएगी। जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में फोर्स मौजूद हैं सभी को आज ही ब्रीफ किया जाना हैं।   बुधवार को मुख्यमंत्री का यहां जनसभा का कार्यक्रम हैं जिसेअच्छी तरह से  सफल बनायेंगे बाहर से फोर्स भी मंगाई गई हैं  जिलों में मुख्यमंत्री  का आगमन है वे मऊ, आजमगढ़  के बाद सबसे आखिर में बलिया आएंगे

कविता - श्रमिक दिवस पर

 कविता - श्रमिक दिवस पर ---------------------------------- दुनिया की सारी इमारतें सब श्रम कौशल की माया है । बजरी पत्थर को ढो ढो कर टूटी श्रमिक की काया है ।। सदियों से सुनते आए हैं नारे इसके कल्याण हेतु । परिणाम नहीं देखा मैंने बन पाए जो निर्वाण सेतु ।। हाथों में छाले हैं जिसके कांधे ,पैरों पर हैं निशान , महलों को जिसने खड़ा किया इक रात नहीं सो पाया है ।।1 पूरे दिन पत्थर तोड़ तोड़ अपनी किस्मत धुनता रहता । रूखी  सूखी  दो  रोटी  खा  कोरे  सपने  बुनता रहता ।। मंदिर मस्जिद का निर्माता सड़कों का भाग्य विधाता है , जो  पेड़  लगाए  हैं  उसने  क्या  भोगी  उनकी  छाया है ।।2 अंतड़ियां भूखी सिकुड़ रहीं थोड़ी मिलती मजदूरी है । गर्मी  सर्दी  के  मौसम से  लड़ना  उसकी  मजबूरी है ।। वो पत्थर का भगवान कहीं मंदिर में बैठा देख रहा , छैनी ने जिसे तराशा है पत्थर को देव बनाया है ।।3 सदियां बीती युग गुजर गए मजदूर वहीं का वहीं पड़ा । अधनंगे बीबी  बच्चे  है अधनंगा  खुद  भी  वहीं खड़ा ।। हलधर" यह  प्रश्न  पूंछता  है  सत्ता  के  ठेकेदारों से , क्या कोई परियोजन एसा जिसमें कल्याण समाया है ?4    हलधर-

श्रमिक दिवस पर विशेष

 श्रमिक दिवस ---------------------         पश्चिमी देशों , खास तौर से अमरीकी और यूरोपीय देशों में  औद्योगीकरण के शुरुआती दौर में कारखानों व फैक्ट्रियों में सस्ते मजदूरी पर मजदूरों की आवश्यकता महसूस होने लगी । श्रमिकों से अधिकाधिक काम कराना और उत्पाद के अनुपात में न्यूनतम मजदूरी दिया जाना उस दौर की प्रमुख समस्या रही। मुनाफा हासिल करने की होड़ में क्रमशः मजदूर शोषण के भंवर जाल में उलझते चले गये।पूॅंजीपति और श्रमिक वर्ग के बीच अपने -अपने हितों को लेकर टकराव बढ़ने लगा और शोषण की जटिल तकनीक से उत्पीड़ित श्रमिक वर्ग धीरे - धीरे संगठित होने लगा और शोषण के खिलाफ आन्दोलन का रास्ता अख्तियार करना मुनासिब समझा।          वास्तव में मजदूर दिवस की बुनियाद अमरीका में 1886 में हुए श्रमिक आंदोलन से जुड़ी है।उसी आन्दोलन की बदौलत आज रोजाना काम करने के आठ घण्टे निर्धारित हैं और सप्ताह में एक दिन अवकाश का अधिकार हासिल है।1886 के श्रमिक आंदोलन के पहले अमरीका में श्रमिकों से 15-15 घण्टे काम लिया जाता था। लाखों मजदूरों ने श्रमिक शोषण के खिलाफ हड़ताल किया और सड़क पर उतरे। कई मजदूर पुलिस के गोली के शिकार हुए श्र

देश भर में मई दिवस मनाया गया समाजवादी पार्टी के नेता संन्तोष प्रताप सिंह ने दिया मजदूरों को शुभकामनाएं

देश भर में मई दिवस मनाया गया समाजवादी पार्टी के नेता संन्तोष प्रताप सिंह ने दिया  मजदूरों को शुभकामनाएं